एक छोटी ख़ुशी
दरवाज़ से झांक जाती हे
कभी वो एक हसीन चांदनी की
तो कभी पूरे चाँद की |
कभी कभी माँ के लाड़ प्यार की
तो कभी तुम्हारे इकरार की
तो कभी तुम्हारे इनकरो की|
एक ख़ुशी तुम्हारे चूडियो मे उरस जाती हे
और कभी एक चमच भर ख़ुशी
शाम को तुम्हारे साथ चाय मे घुल जाती हे !
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