Wednesday, June 25, 2008

~~~~यादे, बस यादे ~~~~~

कदम रुक जाते हे
कई बार पलट कर
जब हम बीते लम्हों को टटोलते हे,
यही तो तुम खड़े थे
वो कम शक्कर की चाय के कप पर
वो बरसती शाम की बूंदों पर
तुमने मुझे पास बुला कर कहा था
की "तुम्हारे बिना जिया नही जाता"
वो बूंदे गवाह थी, तुम्हारे इज़हार की
वो गवाह वक्त के साथ सूख गए
पर यादे.....
वो वही उसी कमरे में
खिड़की पर तुमसे छुट गई
चाय का कप तो धुल गया
पर उस मे जमी तुम्हारी
खुशबू मिट नही पाई...
आज भी बारिश बहुत तेज हे
खुली खिड़की की आवाज़.. लगता हे
तुम्हे बुला रही हे
कदम रुक जाते हे
कई बार पलट कर जब हम
बीते लम्हों को टटोलते हे..

मैं बताना चाहता हू.

कुछ अल्फ़ाज़ खुदा से उधार चाहता हू
फिर तुझे कुछ आज, मैं बताना चाहता हू..

तुम मुझसे रूठा करो इस तरह
मैं तुम्हे हर बार मनाना चाहता हू...

तुम दूर होकर भी दूर नही लगते
क्यू मैं खुद को ये बताना चाहता हू...

Monday, June 23, 2008

मेरी पेंशन

अब इस लम्हा मे फिर जवान हुआ हू
आज फिर वो तारीख हे
जिससे मे अपनी अंजली के
छोटे छोटे हाथो मे
ढेर सारी खुशिया
भर दूँगा
अक्सर वो नन्हे हाथो से
मुझे छू कर अपना प्यार
दिखती हे
काई बार प्यार से "दादू"
कह कर तुतलाती जूबान
से मुझे बुलाती हे
उसकी तो माँ भी
मैं हू ओर पिता भी..
हर बार सोचता हू
की इस महीने अंजली
को ढेर सारी खुशिया दूँगा
पर कम्बख़्त ये आठ सौ रुपये की
पेंशन ने आरज़ू का
गला दबा रखा हे
चाह कर भी मैं
उसे महीनो से
एक नयी फ्रोक नही दिला पाया हू
आज भी लौटते हुए
बनिए का हिसाब चुका आया हू
फिर उसकी नन्ही आँखो मे
ख्वाब को तैरता पाया है..
गली के मोड़ से ये गुब्बारे
ही ला पाता हूँ
मेरी बच्ची मैं तो तेरे लिए
सारा ज़हा खरीदना चाहता हू...

Sunday, June 22, 2008

वो एक ज़िंदगी, जब आई थी छूने

वो एक ज़िंदगी, जब आई थी छूने
तो कोई वादा तो लिया नही उसने
की बैठी थी उम्र भर
मेरे पहलू मे, मेरे लिए हरदम
सोचती, जागती, हस्ती, खेलती
हमेशा ताकेगी मुझे, हर ओर से
ये चुभन हमेशा होगी
ना कहा था उसने कभी
ना कभी बोला था उसने की
हर रंग मेरे उसकी रोशनी होगी
कटोरों में भरी चाँदनी होगी
कभी तो अमावस भी होगी
कभी तो गम के साए भी होंगे
ज़िंदगी तुझसे कोई शिकवा नही
ये भी तो कम नही
की तू छू कर गयी
थी कभी...