कदम रुक जाते हे
कई बार पलट कर
जब हम बीते लम्हों को टटोलते हे,
यही तो तुम खड़े थे
वो कम शक्कर की चाय के कप पर
वो बरसती शाम की बूंदों पर
तुमने मुझे पास बुला कर कहा था
की "तुम्हारे बिना जिया नही जाता"
वो बूंदे गवाह थी, तुम्हारे इज़हार की
वो गवाह वक्त के साथ सूख गए
पर यादे.....
वो वही उसी कमरे में
खिड़की पर तुमसे छुट गई
चाय का कप तो धुल गया
पर उस मे जमी तुम्हारी
खुशबू मिट नही पाई...
आज भी बारिश बहुत तेज हे
खुली खिड़की की आवाज़.. लगता हे
तुम्हे बुला रही हे
कदम रुक जाते हे
कई बार पलट कर जब हम
बीते लम्हों को टटोलते हे..
9 comments:
आज भी बारिश बहुत तेज हे
खुली खिड़की कि आवाज़ लगता हे
तुम्हे बुला रही हे
कदम रुक जाते हे
कई बार पलट कर जब हम
बीते लम्हों को टटोलते हे
और बीते लम्हे फ़िर बीते हुए ही हो जाते हैं ..बहुत सुंदर ख्याल है जो आपके लफ्जों में ढला है .आज ही मैंने कुश को कहा था कि आप अच्छा लिखते हैं ..आपकी लेखनी में आज के वक्त की बात है जो दिल के करीब लगती है ..पर एक बात पर ध्यान दे इस में स्पेलिंग बहुत गड़बड़ हैं ..होते हैं जब मैंने हिन्दी टाइप करना सीखा था तो इस से भी ज्यादा थे :) बस एक बार पोस्ट करने से पहले देख ले .नही तो इतने अच्छे लिखे को दो बार पढ़ना पड़ता है आशा है कि आप मेरी बात को अन्यथा नही लेंगे ..लिखते रहे ..इन्तजार रहेगा आपके लिखे का
बहुत खूबसूरत!! वाकई बहुत अच्छा लिखा है आपने.. रंजू जी से सहमत हू.. थोड़ा स्पेलिंग्स का ख्याल रखे..
kush ki post se aap ke blog par pahunchi
achchee rachna hai..
likhte raheeye..aage bhi padhwate raheeye-
[apna naam nahin likha Aapne ??sambodhan hetu 'neela aasman' ek lamba naam hai-]
achchi nazm....khoobsurat bhaav.
yaadein hi to saath nibhati hai..
dene waale..yaadein dekar..nikal jaate..
khoobsoorat bhav..aur khoobsoorat kavita..
likhte rahe...
आज भी बारिश बहुत तेज हे...
khub kaha...yaadein barase to aisa hi lagta hain..
कदम रुक जाते हे
कई बार पलट कर जब हम
बीते लम्हों को टटोलते हे..
ये सच लिखना कहाँ से सीखा....
just out of the world
SD
just out of the world
SD
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